अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से इसके प्रावधानों और लागू करने के तरीके पर बार-बार सवाल उठाए गए. इसी वजह से इस कानून में कई बार संशोधन किए गए. पिछले महीने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर जातिगत गणना की तरह ही घर-घर जाकर शराबबंदी पर सर्वेक्षण किए जाने की घोषणा की
इसका सैंपल साइज 10 लाख से ज्यादा था. सर्वे से पता चला कि प्रतिभागियों में 99 प्रतिशत महिलाएं और 92 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं. इसमें भी दो करोड़ से ज्यादा लोगों द्वारा शराब छोड़ देने की बात सामने आई थी. रिपोर्ट के अनुसार, 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग शराबबंदी जारी रखने के समर्थन में थे.
बिहार के विपक्षी दलों की ओर से लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। आरोप लगाया जाता है कि राज्य में शराबबंदी फेल है और जहरीली शराब पीकर गरीब जनता मर रही है। भाजपा जहां इसकी समीक्षा की मांग करती रही है।
More Stories
दूसरी जगह तय हुई शादी तो रचा खौफनाक साजिश
नामचीन स्वीट शॉप पर हुआ हंगामा,समोसे में निकली मेढ़क की टांग
गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाया।