यह फैसला लिए जाने के बाद कांग्रेस ने भी हमला बोला, वहीं सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स द्वारा विरोध किया जा रहा है। एक यूजर ने दावा किया है कि स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने अपनी बेटी का एडमिशन करवाने के लिए नीट पीजी के नियमों में बदलाव किया है। इस दावे को मंडाविया ने खारिज कर दिया है।
सरकार ने इसके पीछे अपना मकसद बताते हुए कहा कि जब तक एडमिशन के लिए सीटें खाली रहती हैं, तब तक काउंसिलिंग जारी रहेगी। हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने साफ किया कि जीरो का मतलब यह नहीं है कि जीरो अंक पाने वाले को भी एडमिशन मिल जाएगा, बल्कि जहां तक सीटें रहेंगी, वहां तक एडमिशन होंगे।
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