बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक बढ़ाने की प्रस्तावना व्यक्त की है। उन्होंने विधानसभा में पेश जातीय जनगणना की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कहा कि पिछड़े और अतिपिछड़े के लिए आरक्षण बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने एक नया फॉर्मूला भी प्रस्तुत किया है। नीतीश कुमार ने कहा कि पिछड़े और अतिपिछड़े का आरक्षण बढ़ाना चाहिए और इसे 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर देना चाहिए। बाकी 10 प्रतिशत आरक्षण अर्थबंधित वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्रदान किया जाना चाहिए। इस रूप में 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा, जबकि बाकी 25 प्रतिशत को अनुशासित छोड़ दिया जाए।
नीतीश कुमार ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि हमने सबसे मिलकर बात की थी। यह नौ दलों के समर्थन से जातिगणना की गई। इस रिपोर्ट में हर जाति के आधार पर संपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है। जैसे कि इस शुरुआत में हुआ, 1990 में जब राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह थे, तो एक समय पर हम समझ गए कि यह आवश्यक है कि जाति आधारित गणना होनी चाहिए। उसी समय हमने इस विचार को समझा। मधु लिमये और मधु दण्डवते से हम मिले, और हमने तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह से भी मुलाकात की।
2019 के बाद एक सामूहिक सहमति के बाद, 2020 में कोरोना का सामना किया गया, 2021 में 9 पार्टियों से चर्चा हुई, प्रधानमंत्री से मिले, सभी एक साथ थे, आपके जगह एक दूसरी पार्टी से आए नेता को एक अवसर मिला। लोगों ने जाति-गणना को अपने स्तर पर किया। बड़े पैमाने पर लोगों को शिक्षा दी गई, और काम शुरू होने पर कोर्ट ने रोक लगाई, फिर कोर्ट ने इजाजत दी।
कुछ लोग कहते हैं कि जाति में परिवर्तन हुआ, घटा हुआ, पहले जाति की गणना हुई ही नहीं तो आप कैसे कह रहे हैं? ऐसी बातें बिना आधार के हैं। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, जनगणना अब तक नहीं हुई है, इसे पूरे देश में करवाना चाहिए। जाति गणना के समय हमने अपने घर को छोड़कर बख्तियारपुर जाने का निर्णय लिया था। जब जाति जनगणना का काम चल रहा था, तो हमें अपने घर जाना चाहिए था। नीतीश के भाषण के दौरान बीजेपी के नेता और पूर्व मंत्री प्रेम कुमार ने पंचायत वार जारी करने की मांग की। नीतीश ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे, लेकिन क्या जनगणना के आंकड़े इस प्रकार से पंचायत स्तर पर आते हैं?
इस गणना के आंकड़ों के अनुसार, 59 प्रतिशत लोगों के पास पूरी तरह से तय किए गए मकान हैं, जबकि 39 लाख परिवार शिशुवा और झोपड़ियों में निवास कर रहे हैं। 63850 परिवारों के पास आवास की कमी है। 94 लाख परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। 2011 की तुलना में साक्षरता दर 61.8 प्रतिशत से बढ़कर 79.70 प्रतिशत हो गया है, और महिला साक्षरता में भी महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
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